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गुरूदेव
पंकज सुबीर
सभी गर्वीले भारतीयों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ। इस बार गणतंत्र दिवस मनाइए इस देशभक्ति गीत के साथ-
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3 सप्ताह पहले
गुरूकुल
कंचन
वर्तुल धारा
1 वर्ष पहले
अंकित
ग़ज़ल - इस लम्हे का हुस्न यही है
2 वर्ष पहले
प्रकाश
4 वर्ष पहले
आते हुए लोग
बिल्ली के गले में घंटी बांधना हर समय विशेष में कठिन काम रहा है
6 वर्ष पहले
कुछ शब्द
सच को लिखना कठिन बहुत है झूठ नहीं लिख पाता हूं
7 वर्ष पहले
ग़ज़ल-गाँव के बाशिंदे
चंद्रभान
5 दिन पहले
तिलक
Brainstorming Free PowerPoint Diagram
1 माह पहले
राजीव
ग़ज़ल: प्यार के मौसम में हम बस प्यार की बातें करेंगे
2 माह पहले
नीरज
ज़िस्म तक ही अगर रहे महदूद
2 माह पहले
मानसी
अधिकार
7 माह पहले
इस्मत
8 माह पहले
tarz.e.byaaN
1 वर्ष पहले
शाहिद
1 वर्ष पहले
सतपाल
मेरी एक ताज़ा ग़ज़ल आप सब की नज़्र
2 वर्ष पहले
ग़ज़ल के बहाने-gazal k bahane
naachta mn hai
2 वर्ष पहले
पवन
रवींद्र जैन को विनम्र श्रद्धांजलि !!!!!
3 वर्ष पहले
मनु
5 वर्ष पहले
द्विजेन्द्र "द्विज"
5 वर्ष पहले
संजीव
मेरे प्रिय रचनाकार-अशोक रावत
6 वर्ष पहले
श्रद्धा
जाने वाले कब लौटे हैं क्यूँ करते हैं वादे लोग
6 वर्ष पहले
कवि योगेन्द्र मौदगिल
6 वर्ष पहले
शैलेश
सियासत की अंधी सुरंगों में रोशनी के टूटते-बिखरते ख़्वाब : नासिरा शर्मा की कहानियाँ [3]
7 वर्ष पहले
नज़्म-नगर वाले
दिगम्बर
झपकियों ही झपकियों में रात कब की हो गई ...
4 दिन पहले
रश्मि प्रभा
एक शून्यात्मक विस्तार
1 सप्ताह पहले
देवेन्द्र
महापुरुष
1 सप्ताह पहले
अमिताभ
जनक - जननी
3 सप्ताह पहले
आरसी
1 माह पहले
ओझा
व्याधियों की व्याध-कथा...
1 माह पहले
गिरिजेश
कोई
1 माह पहले
मुकेश
कविता : बेमानी सन्दर्भ
2 माह पहले
हिमांशु
रख दूंगा तुम्हारे सम्मुख आकाश, धरती, सूरज और प्रवाह (Video)
6 माह पहले
ओम
उन घर की दीवारों में कोई आंसू तो नहीं है !
11 माह पहले
रंजना
बोल तुम्हारे ज़िन्दगी
1 वर्ष पहले
रचना रवीन्द्र
अच्छे दिन
3 वर्ष पहले
सागर
थोड़ी फुर्सत मिली तो थी
3 वर्ष पहले
मेरा सामान
उसने उंगलियों पर गिनी चीजें
4 वर्ष पहले
पारुल
कमज़ोरी-ए-निगाह ने संजीदा कर दिया , जलवों से छेड़-छाड़ की आदत नहीं रही
4 वर्ष पहले
सुशीला
6 वर्ष पहले
विशाल
एक शेर...
7 वर्ष पहले
आभा
दुनिया, नियो फासिज़्म की ज़द में
8 वर्ष पहले
स्वप्निल
अपर्णा
नंदनी
कविता उम्मीद से है- दर्पण
शिरीष कुमार मौर्य की कवितायें("पत्नि के जन्म-दिन पर" पर विशेष)
समय की अदालत में- अपूर्व
तुम्हारी दुनिया में इस तरह- अशोक कुमार पाण्डेय
संदूक- दर्पण
सिरहाने में से आधा चाहिये- ओम आर्य
नज़रिया- सागर
बैठे रहे देर तलक- डा० अनुराग
एक ग़ज़ल- मुफ़लिस
चार लड़कियाँ भी हैं अकेली लड़कियाँ- गौरव सोलंकी
बिंधे पँख में पँख सखी री- पारुल
स्वेटर के फंदे से उतरती कविता- अनूप शुक्ल
पुनर्जन्म- रूपम
खो जाने में जो मज़ा वो पा जाने में कहाँ- कुश
खोया खोया चाँद- राहुल
महानगर में चाँद- कृष्णमोहन झा
एक ग़ज़ल- मनु
एक बुद्ध कविता में करूणा ढ़ूँढ़ रहा है- अजेय
खौफ़- सागर
एक ग़ज़ल- पवन कुमार सिंह
तफ़रीह- शरद कोकास
मुकम्मल कविता- नंदनी
पत्थरों का गीत- कंचन
एक ग़ज़ल- रूपम
गुफ्तगु- डा० अनुराग
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मेरे प्रिय शब्दान्वेषी
राकेश
अपने बियावान सन्नाटे
2 घंटे पहले
लाल्टू
सुबह हर अगली सुबह जैसा सूरज उग आया था
1 सप्ताह पहले
अजेय
कस्बों में नया इंडिया -- शेष भाग
1 सप्ताह पहले
अशोक
समानांतर साहित्य उत्सव की एक रपट - अनिमेष जोशी
2 सप्ताह पहले
सुबीर
मूंडवे वालों का जलवा (कहानी : पंकज सुबीर)
3 माह पहले
शरद
10 माह पहले
कविता
अमेरिका : डूब-उबरने के दिन
1 वर्ष पहले
अजित
‘मिट्टी’ से ‘मिट्टी’ तक ज़िंदगी का सफ़र
1 वर्ष पहले
अम्बुज
मेरी हँसी में मेरे पिता की हँसी शामिल है।
2 वर्ष पहले
गीत
सबद पर दस नई कविताएं
2 वर्ष पहले
उदय
जिसके कंठ से पृथ्वी के सारे वृक्ष एक साथ कविता पाठ करते थे : मिगुएल हर्नान्देज़
3 वर्ष पहले
पूर्णिमा
धुंध में डूबा ग्रीष्माकाश
6 वर्ष पहले
प्रत्यक्षा
रुकी हुई रेल
7 वर्ष पहले
कृष्णमोहन
नदी मतलब शोक-गीत
7 वर्ष पहले
गिरिराजकिशोर
Akhilesh ji ko patr
8 वर्ष पहले
शिरीष
शमशेर से साझा
8 वर्ष पहले
रौशन झरोखे
सबद...
व्योमेश शुक्ल की नई कविता
2 दिन पहले
एक शाम मेरे नाम
एक शाम मेरे नाम के संगीत सितारे 2018 Musical Stars of 2018
1 सप्ताह पहले
छींटें और बौछारें
आज के जमाने में, कौन साला सुखी रहना चाहता है!
1 सप्ताह पहले
उर्दू से हिंदी
उर्दू बह्र पर एक बातचीत :क़िस्त 61 [बह्र-ए-माहिया]
2 सप्ताह पहले
एक ज़िद्दी धुन
कृष्णा सोबती : चान्नण मीनार जो लफंगों का चैन छीनती है
3 सप्ताह पहले
हथकढ़
अपने साथ
3 सप्ताह पहले
लिखो यहां वहां
हिंदी जापानी साहित्य संवाद
1 माह पहले
नारी
आज भी वो अपनी आहुति ही दे रही हैं , क्युकी ना तो समाज ने उनको पहले न्याय दिया हैं और ना अब देने को तैयार हैं।
3 माह पहले
ब्लॉग बुखार
सितंबर में जन्मे लोग और ज्योतिष
4 माह पहले
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जेकब लॉरेन्स की माइग्रेशन सीरीज - 2
6 माह पहले
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ठंड़े रेगिस्तान की गुनगुनी तस्वीरें
7 माह पहले
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गैरसैंण - अमित श्रीवास्तव की नई कविता
10 माह पहले
आलोचक
10 माह पहले
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काव्यशास्त्रविनोद-११: लोग सिर्फ़ लोग हैं,तमाम लोग,मार तमाम लोग (रघुवीर सहाय)
1 वर्ष पहले
पुस्तकायन
...... दरिंदा !!
2 वर्ष पहले
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चटख ललछौंहे रंग के कुरते के बावजूद
2 वर्ष पहले
बैरंग
चिट्ठियें दर्द फ़िराक़ वालियें
3 वर्ष पहले
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तनु वेड्स मनु रिटर्न्स: दत्तो बडी ही कूल छोरी है
3 वर्ष पहले
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4 वर्ष पहले
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पत्रिका साहित्य परिक्रमा का राष्ट्रीय अधिवेशन विशेषांक
4 वर्ष पहले
प्रतिलिपि
A Patron Saint for Broken Homes: Shahrukh Alam
6 वर्ष पहले
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अदम जी मुझे लौकी नाथ कहते थे
7 वर्ष पहले
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हिंदी ई-पुस्तकों के कुछ उपयोगी लिंक्स
8 वर्ष पहले
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बीते हुए को लेकर बिताने वाले समय के साथ
8 वर्ष पहले
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9 वर्ष पहले
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चिट्ठा चर्चा
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बोध की ठिठकन - काव्य संकलन - शेषनाथ प्रसाद श्रीवास्तव
11 घंटे पहले
गद्य-कोश
एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल / जयप्रकाश चौकसे
14 घंटे पहले
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अरे, ओ बाँके सवार / राजेन्द्र शर्मा
1 दिन पहले
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'हिन्दी चेतना' का अक्टूबर-दिसम्बर 2015 अंक (वर्ष : 17, अंक : 68)
3 वर्ष पहले
प्रतिलिपि
A Patron Saint for Broken Homes: Shahrukh Alam
6 वर्ष पहले
हिन्द-युग्म
पिता के पास लोरियाँ नही होती
7 वर्ष पहले
भारतीय ग्यानपीठ
अभिव्यक्ति
वागर्थ
सृजन गाथा
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संजय
नील कुरिंजी का फूल
1 दिन पहले
गिरिजेश
भार्गव वाल्मीकि एवं जातीय गतिशीलता
2 दिन पहले
समीर
धरना खत्म करने की खबर से पता चला कि वे धरने पर थे
5 दिन पहले
अनुराग
तुम्हारा खुदा किसी गैर आबाद इलाके में रहता है
1 सप्ताह पहले
अमरेन्द्र
डॉ. कफील प्रसंग : सत्य के बजाय पक्ष चुनने की जल्दबाजी का अच्छा प्रमाण
4 माह पहले
महेन
This blog has moved to mehtamahen.blogspot.com
7 माह पहले
रंजना
एकलव्य कथा
9 माह पहले
मानव
happy diwali.. 19-10-17
1 वर्ष पहले
किशोर
एक जोड़ी पुराने जूते
1 वर्ष पहले
नीरा
सभ्य और कुलीन पुरुषों ने उसे ऊँचे दर्जे की वेश्या कहा, इंटेलिजेंट औरतों ने बिम्बों, मोटे दिमाग की आवारा!
1 वर्ष पहले
शिव
कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण और अर्जुन
1 वर्ष पहले
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काम करनेवाली लड़की का ब्लडी ब्लंडरिंग जीवन: दो
2 वर्ष पहले
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हमेशा टाइप के लोग
2 घंटे पहले
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बनास बब्बा और निन्नी परी
3 माह पहले
राहुल
लिखो
4 माह पहले
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किस्सा-ए-बागवानी
5 माह पहले
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2 वर्ष पहले
सोचालय
उसने दिल पर चीरा लगाकर उसमें अपने होंठों का प्राणवान चुम्बन के बिरवे रोप दिए।
2 वर्ष पहले
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वाट्सएपिया रोमांस
2 वर्ष पहले
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स्मार्ट फोन की तितली में तितलियों से ज़्यादा रंग हैं
3 वर्ष पहले
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दिल गया काम से
3 वर्ष पहले
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मछली का नाम मार्गरेटा..!!
4 वर्ष पहले
पंकज
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5 वर्ष पहले
दफ़्अतन
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7 वर्ष पहले
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आधार कार्ड और दिल्ली :मेरा अनुभव
17 घंटे पहले
शिवम कहे बुरा भला
मधुबाला जी की ८६ वीं जयंती
1 दिन पहले
गज़ब चितेरे काजल भाई
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1 दिन पहले
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1 सप्ताह पहले
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संचिका
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नाकाफ़ी हैं 'शब्द'
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वो कौन हैं जिन्हें तौबा की मिल गयी फ़ुरसत / हमें गुनाह भी करने को जिंदगी कम है...
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